फिर से
Badal
March 05, 2021
फरक बस इत्ना था एक मूरत से दिल लगा बैठे थे हम भोली सूरत देख कर किसी जलाद को दिल दे बैठी थि ओ अप्नी जरूरत देखकर फिर से शाम हो, जाम हो, कोइ द...
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