बंदा मै परवरदिगार तेरा या किसी का प्यादा हूँ
खफ़ा हूँ तुझसे, या अल्लाह !, या ख़ौफ़ज़दा हूँ
गुनाहों का सन्नाटा है ये मेरी या यूँही मै गुमशुदा हूँ
ज़ख्म कि हिसाब है तेरी या यूँही मै तुझसे जुदा हूँ
तु खुदा, मै कुछ नहि ! या मै कुछ कम कुछ ज़्यादा हूँ
क्या हूँ मै? कुछ अधुरे ख्वाब तेरे या तेरा झूठा वादा हूँ
रबा मेरे तु खुद मुसल्लम, ताे बंदा तेरा मै क्यों आधा हूँ
मुसल्लम ईमान नहि या मै टूटी फूटी कमजाेर इरादा हूँ
दुनियाँ मे कई रङ्ग है तेरे ताे मै क्यों इतना सीधा सादा हूँ
आदि न अन्त तेरा अनंत है तु बंदा मै तेरा क्यों मर्यादा हूँ
मेरा हाे कर भि सिर्फ मेरा नहि क्या तु कृष्ण मै राधा हूँ
ना रूप रङ्ग तेरा, अमर अविनाशी तु मै क्यों इतना गाढ़ा हूँ