फिर से - Naweentam

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Friday, March 5, 2021

फिर से

फरक बस इत्ना था

एक मूरत से दिल लगा बैठे थे हम

भोली सूरत देख कर 

किसी जलाद को दिल दे बैठी थि ओ

अप्नी जरूरत देखकर


फिर से

शाम हो, जाम हो, कोइ दिल पे दस्तक दे

लबज पे किसिका नाम हो

काम भि ऐसी कि काम हि न लगे

फिर से ऐसी कोइ काम हो

रात जवान हो, ओ मेरी मैह्मन हो

मेरी बिस्तर पे उसकी जुल्फो कि आशियान हो

प्यार कि जगह पैसा से उसे तोल्दु

दिल के दरवाजे बन्द कर तिजोरियो का खोल्दु


फिर से

ऊ सज सबर के खूब्सुरत लगे

उस्की खूब्सुरती भि मुझे बद्सुरत लगे

ओ अप्नी इश्क कि दलिले दे 

उस्की सिद्धत भि मुझे

मैहज उस्की जिस्मनी जरूरत लगे  


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