फरक बस इत्ना था
एक मूरत से दिल लगा बैठे थे हम
भोली सूरत देख कर
किसी जलाद को दिल दे बैठी थि ओ
अप्नी जरूरत देखकर
फिर से
शाम हो, जाम हो, कोइ दिल पे दस्तक दे
लबज पे किसिका नाम हो
काम भि ऐसी कि काम हि न लगे
फिर से ऐसी कोइ काम हो
रात जवान हो, ओ मेरी मैह्मन हो
मेरी बिस्तर पे उसकी जुल्फो कि आशियान हो
प्यार कि जगह पैसा से उसे तोल्दु
दिल के दरवाजे बन्द कर तिजोरियो का खोल्दु
फिर से
ऊ सज सबर के खूब्सुरत लगे
उस्की खूब्सुरती भि मुझे बद्सुरत लगे
ओ अप्नी इश्क कि दलिले दे
उस्की सिद्धत भि मुझे
मैहज उस्की जिस्मनी जरूरत लगे
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